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जानिए ललित मोदी और सुष्मिता सेन का असली सच , जो आपको चौका देगा



6 जून, 1980. राजेश खन्ना और पूनम ढिल्लों की एक फिल्म रीलिज़ हुई. नाम था रेड रोज़. 'काका' की दीवानगी अब भी थी. इस दीवानगी में नैनीताल के सेंट जोसेफ स्कूल की कक्षा दसवीं में पढ़ रहे एक लड़के ने अपने तीन दोस्तों के साथ स्कूल बंक किया और राजेश खन्ना की फिल्म देखने चला गया. इस घटना के बारे में स्कूल में पता चला और उसे स्कूल से निकाल दिया गया. हालांकि स्कूल के प्रिंसिपल ने दरियादिली दिखाई और इस लड़के को कक्षा दसवीं के बोर्ड के एग्ज़ाम देने दिए.

कट टू 1985. ये लड़का नार्थ कैरोलिना के ड्यूक यूनिवर्सिटी पहुंच चुका था. आप सोच रहे होंगे कि इसने पढ़ाई में कोई कमाल कर दिया होगा, इसलिए हम आपको ये कहानी सुना रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. इस लड़के ने पढ़ाई में कोई भी झंडा नहीं गाड़ा था. खानदानी पैसे से यूएस पहुंचे इस लड़के को कोकेन की लत लग गई थी. 1986 में एक दिन इसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक लड़के की पिटाई कर दी. पिटाई करने से एक दिन पहले इस लड़के को कोकेन की तलब उठी. साथ में तीन दोस्त और थे. ये चारों मिलकर एक मोटेल गए. 10 हजार डॉलर की कोकेन खरीदने. 1986 में 10 हजार डॉलर की कोकेन? रकम कितनी बड़ी थी इसका अंदाज़ा आप खुद लगा सकते हैं. जिस दुकानदार से ये माल खरीदना चाहते थे. उसने समझ लिया कि इनके पास मोटा पैसा है. उसने बंदूक दिखाई और पूरे पैसे ऐंठ लिए. इसके बाद इन लड़कों ने उस लड़के को पीट डाला जिसने इन्हें उस मोटेल का पता बताया था.

इस मामले पर कानूनी कार्रवाई हुई और इन लड़कों को दो साल जेल की सज़ा सुनाई गई. इनमें जो सबसे प्रमुख और मालदार लड़का था, जिसने नैनीताल में स्कूल बंक किया था, उसका नाम है ललित मोदी. वही ललित मोदी जिन्हें इंडियन प्रीमियर लीग से जोड़ा जाता है. वही ललित मोदी जिनकी हालिया सोशल मीडिया पोस्ट वायरल है. ललित पर कोकेन ट्रैफिकिंग, मारपीट और सेकंड डिग्री किडनैपिंग का आरोप लगा. कोर्ट से गुहार लगाकर इस सज़ा को 100 घंटे की कम्युनिटी सर्वीस में बदलवाया गया.

कुछ महीनों बाद ललित वापस इंडिया आ गए. वहां की कोर्ट से कहा गया कि लड़का बीमार है. कोर्ट ने भारत वापसी की मंजूरी दे दी और शर्त रखी कि आरोपी ललित इंडिया में 200 घंटे की कम्युनिटी सर्वीस करेगा.
#आरोपी ललित से BCCI उपाध्यक्ष बनने तक का सफर

घर पर पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन पैसा कितना भी आए कम ही लगता है. 1987 में यूएस से लौटने के बाद ललित ने कई कंपनियों के साथ काम किया. 1996 में ललित ESPN के साथ काम कर रहे थे. उसने ही ESPN, स्टार स्पोर्ट्स को भारत में क्रिकेट फीड शुरु करने का सुझाव दिया. इसी दौर में ललित के दिमाग में एक ख़्वाब आया. ललित ने कई क्रिकेटर्स को एक लीग के लिए साइन कर लिया. ESPN इस लीग को स्पॉन्सर करने के लिए तैयार हो गया. लेकिन उस वक्त के BCCI अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने इस प्लान को रोक दिया.

ललित का ख्वाब धरा का धरा रह गया. लेकिन उसे एक चीज़ ज़रूर समझ आ गई कि कमल तोड़ने के लिए कीचड़ में उतरना ही पड़ता है. और यहीं से शुरू हुआ उनका BCCI तक पहुंचने का सफर. ये सफर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से शुरू हुआ. 1999 में हिमाचल क्रिकेट बोर्ड में चुने जाने के बाद 2004 तक ललित पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष बन गया था. ठीक अगले साल, यानि की 2005 में वो राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का प्रेसिडेंट चुना गया.

राजस्थान क्रिकेट में उन दिनों रुंगटा परिवार का दबदबा था. चार दशकों से इस परिवार ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन पर राज किया था. किसी भी तरह से इस दबदबे को तोड़ना लगभग नामुमकिन ही माना जाता था. पहचान पता न चले इसलिए ललित ने RCA में अपना नाम सिर्फ 'ललित कुमार' रजिस्टर कराया था. इसके बाद धीरे-धीरे ललित ने अपनी जगह बनाई. 2005 में राजस्थान की मुख्यमंत्री के साथ मिलकर ललित ने राजस्थान स्पोर्ट्स एक्ट पास करवाया. इससे वोटिंग राइट्स में बदलाव हो गया और ललित ने महज़ एक वोट से किशोर रुंगटा को चुनाव में हरा दिया.

ललित मोदी भारतीय क्रिकेट में ऊंचाइयों तक पहुंचने के अपने सफर को साकार कर रहे थे. अब उन्होंने और ऊपर का ख़्वाब देखा. इस बार बारी थी उस कुर्सी की जिसपर उनकी नज़र 10 साल से थी. NCP लीडर शरद पवार के साथ मिलकर उन्होंने जगमोहन डालमिया का तख़्तापलट कर दिया. नए अध्यक्ष ने नया उपाध्यक्ष भी चुना. और ये पद मिला ललित मोदी को.
#IPL की शुरुआत

1996 में ललित मोदी ने जब अपनी लीग के लिए क्रिकेटर्स को साइन किया था तब वो वनडे सीरीज़ का ख़्वाब देख रहा था. अब एक बार फिर वही ख़्वाब लेकर मोदी आगे बढ़ा. बस फार्मेट बदल गया था. क्योंकि अब वर्ल्ड क्रिकेट में वनडे और टेस्ट के साथ-साथ एक नया T20 फॉर्मेट आ गया था. साउथ अफ्रीका ने 2007 में T20 वर्ल्ड कप होस्ट किया. सबकी उम्मीदों से परे भारत ने एमएस धोनी की कप्तानी में ये वर्ल्ड कप जीत लिया. ललित के ख़्वाब को अब सेल्स पिच भी मिल गई. और IPL की रूपरेखा तय हुई.

24 जनवरी 2008 को एक ऑक्शन के जरिए टीम्स के मालिक चुने गए. फिर प्लेयर्स का ऑक्शन हुआ. कुछ प्लेयर्स को आइकन चुना गया. महेन्द्र सिंह धोनी सबसे महंगे इंडियन और एंड्र्यू साइमंड्स सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी बने. 18 अप्रैल 2008 को कोलकाता नाइट राइडर्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच पहला IPL मैच एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया. जिसमें ब्रैंडन मैक्कलम ने 158 बनाकर दुनिया को बता दिया कि भारतीय क्रिकेट एक नई दिशा की तरफ बढ़ने जा रहा है.

IPL के पहले कमीश्नर ललित मोदी थे. उनकी सोच IPL ने पहले से पैसों के बीच खेल रहे BCCI को और भी ताकतवर बोर्ड बना दिया. और देखते ही देखते कुछ ही सालों में IPL दुनिया की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स लीग्स में से एक बन गया.
#भ्रष्टाचार के आरोप

शुरुआती सीज़न्स के बाद ललित और बोर्ड के बीच विवाद शुरू हुआ. पहले वो IPL के कंट्रोल के लिए BCCI के अध्यक्ष शशांक मनोहर से भिड़ गए. लेकिन शायद वो ये बात भूल गए थे कि भले ही IPL के कमिश्वर वो थे लेकिन इसका मालिकाना हक BCCI के पास ही था.

बोर्ड अध्यक्ष से विवाद के बाद कोच्ची टस्कर्स का बवाल हुआ. इस बार ललित के सामने थे केन्द्रिय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर. आरोप लगा कि ललित चाहता है कि कोच्ची की टीम का मालिकाना हक उनके पसंद के मालिक के पास जाए. पर ऐसा नहीं हुआ. फिर राज़ खुलने लगे. घरेलू झगड़े सरेआम आ गए. BCCI की बेदाग छवि पर दाग लगने लगे.
#इंडिया छोड़ कर भागना

IPL 2010 के फाइनल के बाद मैच प्रेसेंटेशन सेरेमनी के दौरान ललित मोदी ने एक स्पीच दी. ये स्पीच बिल्कुल फेयरवेल स्पीच जैसी थी. ललित ने कहा -


'भारत में एक वर्ल्ड क्लास लीग शुरू करने का मेरा सपना सच हो गया. IPL साफ, करप्शन फ्री और पारदर्शी है. वहीं IPL को चलाने के सारे निर्णय गवर्निंग काउंसिल एक साथ मिलकर लेती है ना कि मैं अकेले जैसा की आसपास बातचीत होती रहती है.'

इसके बाद मई 2010 में मोदी भारत छोड़ गया. उसने कहा कि अंडरवर्ल्ड से धमकियां आ रही हैं और जान का खतरा है. इसके बाद अक्टूबर 2010 आते-आते एन श्रीनिवासन ने चेन्नई क्राइम ब्रान्च में मोदी समेत छह अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया. BCCI का आरोप था कि ललित ने वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप के साथ मिलकर BCCI को 753 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. इसके बाद साल दर साल ये केस चेन्नई से मुंबई और मुंबई से चेन्नई शिफ्ट होता रहा. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद ये मामला CBI और ED तक पहुंचा.

20 अगस्त 2015 को CBI से होते हुए ईडी ने इंटरपोल से कहा की मोदी के नाम एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर देना चाहिए. रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का मतलब दुनिया की कोई भी पुलिस किसी भी मुजरिम को कहीं भी अरेस्ट कर सकती है. इसके बाद उसे भारत या जिस देश ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया है, वहां भेज दिया जाता है. लगभग डेढ़ साल बाद इंटरपोल ने ईडी को जवाब दिया. मार्च 2017 में इंटरपोल ने बताया कि ललित के खिलाफ जुडिशियल डेटा काफी नहीं है. 2017 तक चेन्नई पुलिस की तहकीकात आगे नहीं बढ़ी थी. इसलिए किसी भी कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल नहीं हुई. इंटरपोल ने इसका भी जिक्र किया था.

तमिल नाडु ने नवंबर 2017 में ही मोदी सरकार को CBI जांच के लिए दरख्वास्त की थी. फरवरी 2020 में संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था,

'भारत में जिन लोगों पर कानूनी आरोप लगे हैं, हम उन्हें वापस लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए हम लुकआउट सर्कुलर, रेड कॉर्नर नोटिस और एक्स्ट्राडिशन रिक्वेस्ट का सहारा ले रहे हैं.'

इसके साथ ही मंत्रालय ने 72 भगोड़ों की लिस्ट भी जारी की. जिसमें ललित का नाम शामिल था. खबरें ऐसी भी रहीं कि ललित मोदी के दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे से करीबी संबंध थे. 2015 में सुषमा ने ललित के लिए पुर्तगाल जाने का प्रबंध भी करवाया था. पुर्तगाल में उनकी बीवी का कैंसर का इलाज चल रहा था. ललित की पत्नी मिनल 2018 में गुज़र गईं.
#ललित को फिर हुआ प्यार

जीवन में इतना कुछ घटने के बाद अचानक ललित की एक तस्वीर आती है. 14 जुलाई 2022 को शेयर की गई इस तस्वीर में ललित के साथ मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन नज़र आईं. ललित मोदी ने बताया कि वो उन्हें डेट कर रहे हैं और आगे शादी करने का भी विचार है.

इस कहानी की शुरुआत हुई कोकेन ट्रैफिकिंग से. और किसने ही तब सोचा होगा कि ये लड़का कभी क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट का राजा बनेगा और फिर उसे अपना मुल्क छोड़कर भागना पड़ेगा. और ज़िन्दगी में हर रोज़ कुछ नए पहलूं जुड़ते जाएंगे.

Source - https://www.thelallantop.com/sports/post/lalit-modi-why-did-he-flee-india-accusations-on-ipl-founder

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